मेरा नाम उनकी जुबान पर है
जैसे कोई दरिया उफ़ान पर है
जैसे कोई दरिया उफ़ान पर है
इस बस्ती के लोगों के उसूल मत पूछो
पैर जमीं पे इरादे आसमान पर है
पैर जमीं पे इरादे आसमान पर है
वारदाते-क़त्ल उनके शहर में हुई
मगर इल्जाम मुझ सुल्तान पर है
मगर इल्जाम मुझ सुल्तान पर है
हारे हुए सिकंदरों को कौन पूछता है 'हरीश'
फतह के तमाम झंडे मेरे मकान पर है
फतह के तमाम झंडे मेरे मकान पर है
मेरा नाम उनकी जुबान पर है
जैसे कोई दरिया उफ़ान पर है......!!
जैसे कोई दरिया उफ़ान पर है......!!