मुहब्बत का तिलिस्मी अफ़साना हो जाये
चाँद भी तेरे हुस्न का गर दीवाना हो जाये
इस नादान दिल को सुकूँ भी मिल जायेगा
हर रोज तेरा मेरे घर आना जाना हो जाये
ये लंबा सफ़र है जीने का आखरी सांस तक
जिंदगी को लम्हों में बांटकर जीना हो जाये
अब मजे की बात नहीं रही तेरी मुहब्बत में
हो सके तो तेरा रूठना मेरा मनाना हो जाये
खुद के साये पर हरगिज़ एतबार न करो 'हरीश'
अँधेरे में हमें रुकना हो तो ये रवाना हो जाये
बढ़िया प्रस्तुति ।
ReplyDeleteआभार ।।
बहुत खूब ... लाजवाब गज़ल है ... इस नादान दिल कों सकून मिल जाए ... ये शेर बहुत पसंद आया ...
ReplyDeleteबहुत उम्दा ग़ज़ल बहुत खूब
ReplyDeleteअब मजे की बात नहीं रही तेरी मुहब्बत में
ReplyDeleteहो सके तो तेरा रूठना मेरा मनाना हो जाये
........बहुत उम्दा !!!
सुंदर गजल...
ReplyDeleteहार्दिक बधाई
umda gazal.
ReplyDeleteदिल की तह से आप सभी को शुक्रिया...
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