अंत नहीं आरम्भ लिखूंगा
फ़ुर्सत में प्रारंभ लिखूंगा
ख्वाहिश में विश्वास लिखूंगा
आस नहीं प्रयास लिखूंगा
क्रांति का आकार लिखूंगा
शून्य नहीं विस्तार लिखूंगा
इन्कलाब को पत्र लिखूंगा
शास्त्र नहीं मैं शस्त्र लिखूंगा
फ़ितरत के विरुद्ध लिखूंगा
छाँव नहीं मैं धूप लिखूंगा
हर मुमकिन तूफान लिखूंगा
धार नहीं मंझधार लिखूंगा
अंत नहीं आरम्भ लिखूंगा
फ़ुर्सत में प्रारंभ लिखूंगा
इन्कलाब को पत्र लिखूंगा
ReplyDeleteशास्त्र नहीं मैं शस्त्र लिखूंगा... बहुत बढ़िया ..
तह-ए- दिल से आभार कविता जी
Deleteक्रान्ति का आकार --------- बहुत सुन्दर प्रेरक रचना 1बधाइ1
ReplyDeleteआभार निर्मला जी
Deleteबहुत बहुत बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ। ....... ओज रस से परिपूर्ण
ReplyDeleteऔर आपका ब्लॉग बहुत ही बढ़िया है इस ब्लॉग पर आकर वाकई बहुत अच्छा लगा।
नया और अनोखा। धन्यवाद हरीश जी ।
शुक्रिया डीजे जी
Deleteबहुत सुन्दर पंक्तिया ..........अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर!
ReplyDeleteप्रभावी ... सुन्दर ग़ज़ल के लाजवाब शेर ...
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDeleteBahut sundar ghazal.
ReplyDeleteCauses of radioactive pollution & Periwinkle plant medicinal uses
Great reaad thankyou
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