''आज़ाद है मेरी परछाई मेरे बगैर चलने को,,,मै नहीं चाहता मेरे अपनों को ठोकर लगे...ये तो 'वर्तमान की परछाई' है ऐ दोस्त...जिसकी कशमकश मुझसे है...!© 2017-18 सर्वाधिकार सुरक्षित''

Recent News

LATEST:

Monday, March 17, 2014

''मेरा नाम उनकी जुबान पर है'' ( ग़ज़ल )



मेरा नाम  उनकी  जुबान पर है
जैसे कोई  दरिया  उफ़ान पर है
 
इस बस्ती के लोगों के उसूल मत पूछो
पैर जमीं पे इरादे आसमान पर है
 
वारदाते-क़त्ल उनके शहर में हुई
मगर इल्जाम मुझ सुल्तान पर है
 
हारे हुए सिकंदरों को कौन पूछता है 'हरीश'
फतह के तमाम झंडे मेरे मकान पर है

 मेरा नाम उनकी जुबान पर है
जैसे कोई दरिया उफ़ान पर है......!!

6 comments:

  1. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय पहेली चर्चा चर्चा मंच पर ।।

    ReplyDelete
  2. हारे हुए सिकंदरों को कौन पूछता है
    फतह के तमाम झंडे मेरे मकान पर है
    लाजवाब शेर है इस उम्दा गज़ल का ... बहुत खूब ...

    ReplyDelete

अरे वाह! हुजुर,आपको अभी-अभी याद किया था आप यहाँ पधारें धन्य भाग हमारे।अब यहाँ अपने कुछ शब्दों को ठोक-पीठ के ही जाईयेगा मुझे आपके शब्दों का इन्तेजार है...


Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Blogger Wordpress Gadgets