हंसी गुम थी उदास दिख रहा था कुछ कुछ
खुश तो था कि दुआएं मुकम्मल हुयी थी
फिर भी मन ही मन चिढ़ रहा था कुछ कुछ
थोड़े आंसू गिरे थे मेरे हर सवाल पर
कागज़े दिल तेरा भीग रहा था कुछ कुछ
एक झोंका हवा का गुजर भी गया
सुर्ख पत्ता अभी भी हिल रहा था कुछ कुछ
फ़ासलें मिट रहे थे देखो दूर क्षितिज़ में
जमीं से आसमां मिल रहा था कुछ कुछ
बरसों पहले जो दी थी मुहब्बत की निशानी
वो फुल गुलाब का खिल रहा था कुछ कुछ
बोली लगने से पहले ये हुआ था 'हरीश'
तेरे बाज़ार में मैं बिक रहा था कुछ कुछ
हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} किसी भी प्रकार की चर्चा आमंत्रित है दोनों ही सामूहिक ब्लौग है। कोई भी इनका रचनाकार बन सकता है। इन दोनों ब्लौगों का उदेश्य अच्छी रचनाओं का संग्रहण करना है। कविता मंच पर उजाले उनकी यादों के अंतर्गत पुराने कवियों की रचनआएं भी आमंत्रित हैं। आप kuldeepsingpinku@gmail.com पर मेल भेजकर इसके सदस्य बन सकते हैं। प्रत्येक रचनाकार का हृद्य से स्वागत है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteजन्माष्टमी की आपको भी शुभ शुभकामनाएं जय श्री राधे कृष्ण
Deleteशुक्रिया सर जय श्री राधे कृष्ण
ReplyDeleteजय श्री राधे कृष्ण
ReplyDeleteखूबसूरत गज़ल
ReplyDelete