''जिंदगी जीने के नुस्खों में मुझे ऐतबार नहीं है मैं अपनी जिंदगी बहिस्कारों के साये में जीने की कोशिश करता हूँ।मेरे विचारों की मासूमियत आज भी मुझे ये हक नहीं बख्स्ती की मैं अपनी ही तन्हाईयों से परहेज करू मैं ख्यालों के बिच फ़ासलों में विश्वास हरगिज़ नहीं रखता मैं ऊँची उड़ानों में विश्वास रखता हूँ।''मेरी मर्ज़ी...
Saturday, April 18, 2015
Friday, April 17, 2015
अंत नहीं आरम्भ लिखूंगा
अंत नहीं आरम्भ लिखूंगा
फ़ुर्सत में प्रारंभ लिखूंगा 
ख्वाहिश में विश्वास लिखूंगा 
आस नहीं प्रयास लिखूंगा 
क्रांति का आकार लिखूंगा 
शून्य नहीं विस्तार लिखूंगा 
इन्कलाब को पत्र लिखूंगा 
शास्त्र नहीं मैं शस्त्र लिखूंगा 
फ़ितरत के विरुद्ध लिखूंगा 
छाँव नहीं मैं धूप लिखूंगा 
हर मुमकिन तूफान लिखूंगा 
धार नहीं मंझधार लिखूंगा
 अंत नहीं आरम्भ लिखूंगा
फ़ुर्सत में प्रारंभ लिखूंगा 
Thursday, April 16, 2015
मैं अन्तर्मन तेरा (ग़ज़ल )
मैं अन्तर्मन तेरा, मैं ख़्वाब भी तेरा हूँ
विश्वास करो मेरा, मैं साँझ सवेरा हूँ
बनजारें भी अब तक, घर लौट गये होंगे 
मैं बीच रास्ते का, लूट गया जो डेरा हूँ
मैं बीच रास्ते का, लूट गया जो डेरा हूँ
कुछ दर्द उधारी के, कुछ अश्क़ मुनाफे के
मैं इश्क़ का राजा हूँ, जो कुछ हूँ तेरा हूँ
कुछ छिपे हुये राजों की, बात क्या करनी
नफ़रत के नकाबों में, मैं प्रेम का चेहरा हूँ
मैं फूल बगीचों का, शबनम में नहाया हूँ
काँटों में जिन्दा हूँ, खुश्बू का लूटेरा हूँ
मैं इश्क़ का राजा हूँ, जो कुछ हूँ तेरा हूँ
कुछ छिपे हुये राजों की, बात क्या करनी
नफ़रत के नकाबों में, मैं प्रेम का चेहरा हूँ
मैं फूल बगीचों का, शबनम में नहाया हूँ
काँटों में जिन्दा हूँ, खुश्बू का लूटेरा हूँ
'हरि' स्याह अँधेरे की, परछाई मेरी तस्वीर 
इक रात हुआ रौशन, जुगनू का बसेरा हूँ
इक रात हुआ रौशन, जुगनू का बसेरा हूँ
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