किसी रोज़ जिंदगी बिखर जाएगी
उड़ती पतंगे आसमां से उतर जाएगी
इस ओर कुछ दूरियाँ ज़ायज हैं वर्ना
उस ओर मुहब्बत की खबर जाएगी
मैंने देखा है मुहब्बत के गुलाबों का अंजाम
अश्कों में नहलाकर किताब निगल जाएगी
इस बुढ़ापे में इश्क की ख़ता न करो दोस्त
ज़ात-ऐ-बुजुर्ग बे आबरू होकर जाएगी
गज़लें गाकर देख दिन के उजालों में 'हरीश'
तेरे ख्वाबों में तन्हा मेरी रातें उतर जाएगी
बढ़िया है आदरणीय-
ReplyDeleteआभार-
शुक्रिया श्रीमानजी
Delete