नासाज तबियत थोड़ी ठीक हो जाय
आओ हम ग़म में चूर चूर हो जाय
बंजारों से कह दो हम उनसे वाबस्ता नहीं
ये दिन आराम के है तो कुछ आराम हो जाय
वक़्त कहता है कोई नयी दुनिया बसा ले
तुम जमीं हो जाओ हम आसमां हो जाय
मेरे गांव के पंछी साँझ को घर नहीं लौटते
जरुरी है तेरे गांव का रिश्ता मेरे गांव से हो जाय
किसी दिन हम भी तेरे गीत गाकर देखेंगे 'हरीश'
फ़िकर नहीं दुनिया दोस्त हो जाय दुश्मन हो जाय
आओ हम ग़म में चूर चूर हो जाय
बंजारों से कह दो हम उनसे वाबस्ता नहीं
ये दिन आराम के है तो कुछ आराम हो जाय
वक़्त कहता है कोई नयी दुनिया बसा ले
तुम जमीं हो जाओ हम आसमां हो जाय
मेरे गांव के पंछी साँझ को घर नहीं लौटते
जरुरी है तेरे गांव का रिश्ता मेरे गांव से हो जाय
किसी दिन हम भी तेरे गीत गाकर देखेंगे 'हरीश'
फ़िकर नहीं दुनिया दोस्त हो जाय दुश्मन हो जाय
अच्छा लिखते हैं आप .... !!
ReplyDeleteजी शुक्रिया हीर जी
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