''जिंदगी जीने के नुस्खों में मुझे ऐतबार नहीं है मैं अपनी जिंदगी बहिस्कारों के साये में जीने की कोशिश करता हूँ।मेरे विचारों की मासूमियत आज भी मुझे ये हक नहीं बख्स्ती की मैं अपनी ही तन्हाईयों से परहेज करू मैं ख्यालों के बिच फ़ासलों में विश्वास हरगिज़ नहीं रखता मैं ऊँची उड़ानों में विश्वास रखता हूँ।''मेरी मर्ज़ी...
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Monday, January 23, 2012
मेरा अपना गणतंत्र दिवस...।
आखिर आ ही गया
फिर
मेरे देश का 'दिवस'
...गणतंत्र दिवस!
नादान पाठशालाओं में
बचा-खुचा एक राष्ट्रीय दिवस...
मेरा अपना गणतंत्र दिवस।
सफेदपोशो की सलामी का दिवस,
बहादूर शहीदों की यादों का दिवस,
मेरा अपना गणतंत्र दिवस...।
अरे वाह! हुजुर,आपको अभी-अभी याद किया था आप यहाँ पधारें धन्य भाग हमारे।अब यहाँ अपने कुछ शब्दों को ठोक-पीठ के ही जाईयेगा मुझे आपके शब्दों का इन्तेजार है...
सार्थक पोस्ट बहुत ही प्यारी रचना..... :)
ReplyDeleteबढिया रचना।
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं....
जय हिंद... वंदे मातरम्।
हर साल की तरह ये दिन भी आता और गुजार जाता है ... अच्छा लिखा है ...
ReplyDeleteआपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ...
सुंदर पंक्तियाँ......शुभकामनायें
ReplyDeleteइस सार्थक प्रविष्टि के लिए बधाई स्वीकार करें.
ReplyDeleteमैं आपके ब्लॉग को फालो कर चुका हूँ, अपेक्षा करता हूँ कि आप मेरे ब्लॉग"MERI KAVITAYEN" पर पधारकर मुझे भी अपना स्नेह प्रदान करेंगे .