''आज़ाद है मेरी परछाई मेरे बगैर चलने को,,,मै नहीं चाहता मेरे अपनों को ठोकर लगे...ये तो 'वर्तमान की परछाई' है ऐ दोस्त...जिसकी कशमकश मुझसे है...!© 2017-18 सर्वाधिकार सुरक्षित''

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Monday, January 23, 2012

मेरा अपना गणतंत्र दिवस...।

आखिर आ ही गया
फिर
मेरे देश का 'दिवस'
...गणतंत्र दिवस!
नादान पाठशालाओं में
 बचा-खुचा एक राष्ट्रीय दिवस...
मेरा अपना गणतंत्र दिवस
सफेदपोशो की सलामी का दिवस,
बहादूर शहीदों की यादों का दिवस,
मेरा अपना गणतंत्र दिवस...

5 comments:

  1. सार्थक पोस्ट बहुत ही प्यारी रचना..... :)

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  2. बढिया रचना।


    गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं....

    जय हिंद... वंदे मातरम्।

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  3. हर साल की तरह ये दिन भी आता और गुजार जाता है ... अच्छा लिखा है ...
    आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ...

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  4. सुंदर पंक्तियाँ......शुभकामनायें

    ReplyDelete
  5. इस सार्थक प्रविष्टि के लिए बधाई स्वीकार करें.

    मैं आपके ब्लॉग को फालो कर चुका हूँ, अपेक्षा करता हूँ कि आप मेरे ब्लॉग"MERI KAVITAYEN" पर पधारकर मुझे भी अपना स्नेह प्रदान करेंगे .

    ReplyDelete

अरे वाह! हुजुर,आपको अभी-अभी याद किया था आप यहाँ पधारें धन्य भाग हमारे।अब यहाँ अपने कुछ शब्दों को ठोक-पीठ के ही जाईयेगा मुझे आपके शब्दों का इन्तेजार है...


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