ये शिकवा है मेरा खुदा से की तू खुदा क्यों है ?
मुझ फकीर ने बहाई है नदियाँ बेहिसाब सजदों की
उसूलों की बैशाखियों का नक़द खरीदार हूँ मैं
मैंने यूँही बेशकीमती मुहब्बत फोकट में गवा दी
मसलों के जनाजें गर तेरे कंधों पे नहीं उठते 'हरीश'
मेरी दुआओं का क़त्ल करने पे आमादा क्यों है?
मुझ फकीर ने बहाई है नदियाँ बेहिसाब सजदों की
तेरी बख्शीशों का समंदर मगर आधा क्यों हैं ?
उसूलों की बैशाखियों का नक़द खरीदार हूँ मैं
तेरे बाज़ार में अब उधारी का सौदा क्यों है ?
मैंने यूँही बेशकीमती मुहब्बत फोकट में गवा दी
फिर आशिकों से आंसूओं का तेरा वादा क्यों है?
मसलों के जनाजें गर तेरे कंधों पे नहीं उठते 'हरीश'
तो सब्र कर,औरों को भी आने दे,चिल्लाता क्यों है?
ये शिकवा है मेरा खुदा से की तू खुदा क्यों है...?
मेरी दुआओं का क़त्ल करने पे आमादा क्यों है...?
मुझ फकीर ने बहाई है नदियाँ बेहिसाब सजदों की
ReplyDeleteतेरी बख्शीशों का समंदर मगर आधा क्यों हैं ... वाह
नववर्ष की शुभकामनाएं दीदी जी!
ReplyDelete