''आज़ाद है मेरी परछाई मेरे बगैर चलने को,,,मै नहीं चाहता मेरे अपनों को ठोकर लगे...ये तो 'वर्तमान की परछाई' है ऐ दोस्त...जिसकी कशमकश मुझसे है...!© 2017-18 सर्वाधिकार सुरक्षित''

Recent News

LATEST:

Tuesday, December 27, 2011

मेरी मर्ज़ी

मेरे विचारों की मासूमियत आज भी मुझे ये हक नहीं बख्स्ती  की मैं अपनी ही तन्हाईयों से परहेज करू, मैं ख्यालों के बिच फ़ासलों में विश्वास हरगिज़ नहीं रखता, मैं ऊँची उड़ानों में विश्वास रखता हूँ .....

0 comments:

Post a Comment

अरे वाह! हुजुर,आपको अभी-अभी याद किया था आप यहाँ पधारें धन्य भाग हमारे।अब यहाँ अपने कुछ शब्दों को ठोक-पीठ के ही जाईयेगा मुझे आपके शब्दों का इन्तेजार है...


Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Blogger Wordpress Gadgets