''आज़ाद है मेरी परछाई मेरे बगैर चलने को,,,मै नहीं चाहता मेरे अपनों को ठोकर लगे...ये तो 'वर्तमान की परछाई' है ऐ दोस्त...जिसकी कशमकश मुझसे है...!© 2017-18 सर्वाधिकार सुरक्षित''

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Tuesday, January 3, 2012

नादान ख्वाब...



आँखों की भीगी पलकें 
अब बंद नहीं होती 
ख्वाबों के लिए...

काश वो ख्वाब न देखा होता 
अश्कों का जलजला न होता
आँखों में आज 
न होती तनहा रातें 
न वफ़ा पे रोना आता...

मगर मैं रोक न पाया खुद को
नादान था शायद 
हल्के रंगों से 
इन्द्रधनुषी ख्वाब बुनने चला था,
वो ख्वाब भले बेवफा था 
मगर हसीन भी कम न था,,,

आहिस्ता-आहिस्ता 
मैं जब भी करवट बदलता हूँ 
वो बातें उसकी वफ़ा की
वो दुलार रहमतों का 
अब देखने नहीं देता 
कोई खूबसूरत ख्वाब...

सब रह गया पीछे 
किसी बरगद की छांव में जैसे 
कारवां चलता ही गया 
बेफिक्री में 
अनजान सफ़र पर 
और मुहब्बत दम तोड़ गयी 
शातिर कसमों की 
अल्लहड़,
भोली पनाहों में...

आँखों की भीगी पलकें 
अब बंद नहीं होती 
ख्वाबों के लिए...!!


9 comments:

  1. बहुत खूब बढ़िया लगी आपकी यह रचना ... आभार मेरे सुझाव पर अमल करने के लिए ... कल एक बात कहना भूल गया था ... वर्ड वेरिफिकेशन अगर जरुरी ना हो तो हटा भी सकते है ... वैसे भी मुझे पूरा यकीन है आपकी रचनाओ पर कोई भी उलजलूल कमेन्ट नहीं करेगा .. ;-)

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  2. वाह ... आपने तो वर्ड वेरिफिकेशन पहले ही हटा दिया है ... जय हो !

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  3. शुक्रिया कौशलजी..

    और शिवम् जी आप जैसे प्रियवर तो अनुकरणीय है चटक रंगों की क्या बिसात की आड़े आ जाये...
    अब रहा मसला वर्ड वेरिफिकेशन के मटियामेट का तो वो मैं दीदी 'रश्मि प्रभाजी' के सुझावानुसार सुबह ही कर चूका था,
    ये मसला मेरी जानकारी में पहले नहीं था वरना ऐसी बंदिशे मैं न रखता मेरा भी ये मानना है की झंझावातों की हदें ख्यालों की सार-संभाल के लिए नहीं रखनी चाहिए...:)

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  4. आहिस्ता-आहिस्ता
    मैं जब भी करवट बदलता हूँ
    वो बातें उसकी वफ़ा की
    वो दुलार रहमतों का
    अब देखने नहीं देता
    कोई खूबसूरत ख्वाब...- होता है अक्सर ऐसा ही

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  5. सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

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  6. आँखों की भीगी पलकें
    अब बंद नहीं होती
    ख्वाबों के लिए...!!
    बेहतरीन भाव संयोजन ...

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  7. शुक्रिया @शाहनवाज जी
    @दी' रश्मि प्रभा जी
    @संजय भास्कर जी
    @सदा जी
    आपकी अनमोल टिप्पणियों के लिए...आपके द्वारा बख्सी गयी हौसला आफजाई मुझे बेहतरीन परवाज देती रहे हमेशा इसी आशा के साथ...

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अरे वाह! हुजुर,आपको अभी-अभी याद किया था आप यहाँ पधारें धन्य भाग हमारे।अब यहाँ अपने कुछ शब्दों को ठोक-पीठ के ही जाईयेगा मुझे आपके शब्दों का इन्तेजार है...


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