मुहब्बत भी एक किस्म की फकीरी है जनाब
फुरकते-महबूब में तड़पना मझबूरी है जनाब
सूखे पत्तों की खबर अंधड़-तूफानों से पूछिये
बेसहारा जिंदगी की हर सांस आखिरी है जनाब
वो कहते रहे गैरों से दिल की बाते रो-रो कर
जैसे इश्क की बातों में अश्क जरुरी है जनाब
ये चाँद ये सितारे ये जमीं आसमान हर कोई
अहसास की हवा में जिन्दा शरीरी है जनाब
गैरों के घर का ठिकाना मत पूछिये 'हरीश'
रस्मे-तोहिन इस शहर में अब जरुरी है जनाब
क्या बात ... क्या बात ... क्या बात ... बहुत खूब !
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - ब्लॉग बुलेटिन की राय माने और इस मौसम में रखें खास ख्याल बच्चो का
खूबसूरत रचना ||
ReplyDeleteबहुत खूब ... क्या बात है ... खूबसूरत गज़ल ...
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