तेरे हुस्न का किस्सा तेरा कातिल सुना जाये,
बात गर मजे की है बेबाक कुछ तो कहा जाये...!
गैरों के घरों में अपने लोग भी नजर आ जाते हैं
गली से गुजरते हुए गर बेखौफ झाँका जाये...!
खुद मंजिलें अपनी और लौट सकती है अगर
अँधेरे सफ़र में भी जुगनुओं की तरह जला जाये...!
ता-उम्र मेरी ये ख्वाहिश जिन्दा रहेगी 'हरीश'
रूठ जाये गर दुनिया तो मुझसे ना रूठा जाये...!
तेरे हुस्न का किस्सा तेरा कातिल सुना जाये
बात गर मजे की है बेबाक कुछ तो कहा जाये...!
ता-उम्र मेरी ये ख्वाहिश जिन्दा रहेगी 'हरीश'
ReplyDeleteरूठ जाये गर दुनिया तो मुझसे ना रूठा जाये
शुभकामनायें ||
behtarin rachana....
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